May 20, 2025

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चिपको आंदोलन के अगुवा की पत्नी का निधन

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93 साल की उम्र में राजधानी देहरादून स्थित आवास पर ली अंतिम सांस

बेबाक दुनिया ब्यूरो

देहरादून। गांधीवादी विचारों और चिपको आंदोलन चलाकर अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने वाले दिवंगत सुंदरलाल बहुगुणा की पत्नी बिमला बहुगुणा (93) का बृहस्पतिवार की रात राजधानी स्थित निवास पर निधन हो गया है। बिमला के निधन पर मुख्यमंत्री ने शोक जताया है।

बिमला बहुगुणा के बेटे राजीव नयन बहुगुणा ने सोशल मीडिया पर मां के निधन की जानकारी साझा करते हुए लिखा-“भोर 2.10 बजे मां ने अंतिम सांस ली। वह देहरादून के शास्त्रीनगर स्थित आवास पर थीं। अंत घड़ी चूंकि मैं उनके साथ अकेला था, अतः घबरा न जाऊं, यह सोचकर उखड़ती सांसों के साथ पड़ोस में रहने वाले मेरे चचेरे बड़े भाई को बुलवाने के निर्देश दिए। सतत 93 साल तक प्रज्ज्वलित एक ज्योति शिखा का अनंत ज्योति में मिलन।”

गौरतलब हो कि पति सुंदरलाल बहुगुणा की भांति ही बिमला ने भी संपूर्ण जीवन पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र और सामाजिक उत्थान के लिए समर्पित किया है। उधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निधन पर शोक जताते हुए कहा, सामाजिक उत्थान के प्रति आजीवन समर्पित, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने वाली, स्वर्गीय सुंदर लाल बहुगुणा की पत्नी बिमला बहुगुणा के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। ईश्वर पुण्यात्मा को श्रीचरणों में स्थान और शोकाकुल परिजनों को दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

शादी के लिए रखी थी शर्त

वर्ष 1954 में बिमला ने शादी के लिए सुंदरलाल बहुगुणा के सामने शर्त रखी थी। इसके बाद ही उन्होंने विवाह के लिए हां किया था। बिमला को पिता नारायण दत्त नौटियाल की एक चिट्ठी से पता चला कि उनका विवाह सुंदरलाल बहुगुणा के साथ तय हुआ है। चिट्ठी में आदेश दिया गया था कि अमुक दिनांक, अमुक माह में उनका विवाह सुंदरलाल के साथ तय कर दिया गया है। बिमला शादी नहीं करना चाहती थीं, पर पिता नाराज न हो जाएं, इसके चलते उन्होंने शादी के लिए शर्त रखी कि सुंदरलाल राजनीतिक कामों को छोड़ आश्रम की स्थापना करें। जिस पर सुंदरलाल तैयार हो गए और तब सड़क से मीलों दूर सिलयारा आश्रम की शुरुआत की गई और विवाह ठक्कर बाबा आश्रम में संपन्न हुआ ।

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