मूल रूप से चार दस्तावेज ही धर्मगुरुओं के लिए प्रस्तुत करने होंगे पंजीकरण के समय
बेबाक दुनिया ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो चुका है। लिव इन रिलेशनशिप के पंजीकरण के लिए धर्मगुरुओं से प्रमाणपत्र पेश करने को लेकर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में सवाल भी उठाए गए हैं।
इस पर यूसीसी नियमावली कमेटी के सदस्य मनु गौड़ ने स्पष्ट किया कि ऐसा सिर्फ उन रिश्तों के मामलों में होगा, जिन रिश्तों के बीच विवाह प्रतिषिद्ध है, ऐसे रिश्तों का उल्लेख संहिता की अनुसूची एक में स्पष्ट किया गया है। यूसीसी के तहत लिव इन पंजीकरण के समय सिर्फ निवास, जन्मतिथि, आधार कार्ड और किरायेदारी के मामले में किरायेदारी से संबंधित दस्तावेज ही पेश करने होंगे। इसके अलावा जिनका पहले तलाक हो चुका है, उन्हें विवाह खत्म होने का कानूनी आदेश पेश करना होगा।
बताया, जिनके जीवन साथी की मृत्यु हो चुकी है या जिनका पूर्व में लिव इन समाप्त हो चुका है, उन्हें इससे संबंधित दस्तावेज पंजीकरण के समय देने होंगे। धर्मगुरुओं से रिश्ता प्रमाणित होने वाले दस्तावेज की अनिवार्यता पर स्पष्ट किया कि ऐसा सिर्फ उन्ही मामलों में करना होगा, जिसमें लिव इन जोड़े के बीच में कोई पूर्व का रिश्ता हो और वह रिश्ता अनुसूची एक में दर्ज प्रतिषिद्ध श्रेणी में आता हो।
कहा, सामान्य तौर पर उत्तराखंड में ऐसे रिश्तों में विवाह करने वाले लोग बहुत कम हैं। इससे साफ है कि प्रदेश में यूसीसी के तहत होने वाले पंजीकरण में एक फीसदी कम मामलों में जरूरत पड़ेगी। साथ ही जिन समाजों में प्रतिषिद्ध श्रेणी के रिश्तों में विवाह होता है, वो भी धर्मगुरुओं के प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने पर पंजीकरण करा सकते हैं। बताया, इसका उद्देश्य किसी के भी पंजीकरण को रोकने के बजाय उसे पंजीकरण में सहायता प्रदान करना है।
यूसीसी ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य गौड़ के मुताबिक, धर्मगुरुओं के प्रमाणपत्र के फार्मेट को भी इसमें स्पष्ट तौर पर बताया गया है। स्पष्ट किया कि यूसीसी के तहत प्रदेश में एक साल से रहने वाला कोई भी व्यक्ति अपना पंजीकरण करवा सकता है। इस समय अवधि का मूल निवास या स्थायी निवास से कोई संबंध नहीं है। बताया, प्रदेश में बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों के लोग भी रहते हैं, ये लोग यहां सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं, ऐसे लोग अब पंजीकरण कराने पर ही सरकारी सेवाओं का लाभ उठा पाएंगे।
कहा, इससे प्रदेश के लोगों के संसाधनों पर दबाव कम होगा। यदि यह सिर्फ मूल और स्थायी निवासी पर लागू होता तो, अन्य राज्यों से आने वाले लोग इसके दायरे से छूट जाते। वो दूसरे राज्यों में विवाह करते, यहां पर सरकारी योजनाओं के लाभ लेते। वैसे भी यूसीसी में निवासी की परिभाषा सिर्फ यूसीसी से संबंधित विषयों के लिए दी गई है। इसके लिए पांच श्रेणियां तय की गई हैं। इसका मकसद यहां रहने वाले सभी लोगों को यूसीसी के तहत पंजीकरण की सुविधा देने के साथ ही सरकार के डेटा बेस को ज्यादा मजबूत बनाना है।
कहा, यूसीसी के तहत भरे जाने वाले फार्म में चूंकि कई सारे विकल्प दिए गए हैं, इसलिए फार्म 16 पेज का हो गया है, बावजूद फार्म को ऑनलाइन तरीके से भरने में पांच से 10 मिनट का ही समय लगेगा। चूंकि इसे हर तरह से फूलप्रूफ बनाया जाना था, इसलिए फार्म को विस्तृत रखा गया है। ऑफलाइन तरीके से भी इसे आधे घंटे में भरा जा सकता है। वेबपोर्टल में आधार डालते ही विवरण खुद आ जाएगा, इसलिए ऑनलाइन पंजीकरण बेहतर है।
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