May 18, 2025

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गांवों को संवारने आगे आए प्रवासी उत्तराखंडी

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गांव को गोद लें योजना से विदेशों में रह रहे प्रवासियों ने चिह्नित किए गांव

कई प्रवासी गोद लिए गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार में कर रहे काम

बेबाक दुनिया ब्यूरो

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर विदेशों में रहने वाले प्रदेश के प्रवासियों के लिए चलाए जा रहे गांव को गोद लें (एडोप्ट-ए-विलेज) कार्यक्रम में रुचि दिखाते हुए कई प्रवासियों ने गांव चिह्नित कर लिए हैं। साथ ही सरकार के सामने चिह्नित गांवों के लिए विकास का रोडमैप भी पेश किया है।

गांव को गोद लें कार्यक्रम का विचार पिछले साल पांच मार्च को मुख्यमंत्री धामी द्वारा कई देशों में रहने वाले प्रवासी उत्तराखंडियों के साथ हुए संवाद में निकल कर आया था, जिसमें मुख्यमंत्री ने प्रवासियों से राज्य में एक या एक से अधिक गांवों को गोद लेने की अपील की। इसके बाद कई प्रवासियों ने गांव चिह्नित करते हुए राज्य सरकार के सामने यहां किए जाने वाले कार्यों का रोडमैप प्रस्तुत किया है।

चीन के देव रतूड़ी ने टिहरी जिले में सुनार गांव और कमैरा सौड़ गांव में सोलर लाइट लगाने, युवाओं को चीन की होटल इंडस्ट्री में रोजगार प्राप्त और शिक्षा के क्षेत्र में मदद करने की इच्छा जाहिर करते हुए प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। अमेरिका में रहने वाले उद्यमी शैलेश उप्रेती ने अल्मोड़ा जिले के मनान गांव में कंपनी का इंडिया कॉरपोरेट ऑफिस खोलने और एनर्जी स्टोरेज सेंटर खोलने की दिशा में काम शुरू कर दिया है।

वर्तमान में यूएई में रह रहे टिहरी जिले के मूल निवासी विनोद जेठूड़ी ने उत्तरकाशी जिले के सीमांत ओसला गांव में स्किल ट्रेनिंग और पिथौरागढ़ निवासी गिरीश पंत ने बजेट और बरसायत गांवों में शिक्षा, कम्प्यूटर एजूकेशन के साथ ही स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की दिशा में काम करने की इच्छा जाहिर की है। थाईलैंड में उद्यमी पौड़ी जिले के निवासी डॉ. एके काला ने पौड़ी जिले के किसी एक गांव के मेधावी छात्रों की शिक्षा में मदद करने की इच्छा जाहिर है।

वर्तमान में ब्रिटेन में निवासरत नैनीताल जिले की नीरू अधिकारी ने नौकुचियाल के निकट एक्वा टोक में किवी उत्पादन, ध्यान योग केंद्र की स्थापना के साथ ही देहरादून जिले के सभावाला गांव कौशल विकास का प्रशिक्षण देने की योजना प्रस्तुत की है। उधर, योजना का उद्देश्य प्रवासी उत्तराखंडियों की विशेषज्ञता, अनुभव और वित्तीय सहायता से गांव का सर्वागींण विकास करना है। यह प्रक्रिया पूर्ण रूप से स्वैच्छिक है, प्रवासीजन अपने या किसी भी गांव का चयन इसके लिए कर सकते हैं।

राज्य सरकार प्रवासियों के साथ चर्चा कर आपसी सहमति पर गांव के विकास के लिए शुरुआती 2-3 वर्षों के लिए एक रोडमैप तैयार करती है। इसके लिए प्रवासियों एवं स्थानीय प्रशासन के मध्य एमओयू भी करने का प्रावधान है। प्रवासियों द्वारा चिह्नित गांव में शिक्षा, इंटरनेट कनेक्टिविटी, छात्रवृत्ति, उद्यमिता और स्वरोजगार को बढ़ावा देने जैसे कार्य किए जा सकते हैं। जिलाधिकारी चिह्नित गांव में चल रहे कार्यक्रमों की निगरानी करते हुए इसे मॉडल गांव के तौर पर विकसित करेंगे।

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