पिछले साल रामलीला मंचन के दौरान जेल में वानर का किरदार निभाने के दौरान दीवार फांद हुआ था फरार
इनामी के साथ एक और बंदी भी हुआ था फरार, पुलिस ने उसको हरियाणा से पहले ही गिरफ्तार कर लिया था
बेबाक दुनिया ब्यूरो
देहरादून। रोशनाबाद जिला जेल से पिछले साल 11 अक्तूबर की रात रामलीला मंचन के दौरान किरदार निभाते-निभाते दो बंदी दीवार फांदकर फरार हो गए थे, जिसमें एक को पुलिस ने हरियाणा से दबोच लिया, लेकिन एक फरार चल रहा था, जिसको बृहस्पतिवार की रात करीब साढ़े तीन महीने बाद हरिद्वार पुलिस और एसटीएफ ने मुठभेड़ में गिरफ्तार कर लिया।
बंदी के पैर में गोली लगी है, जिसको अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बंदी के ऊपर हरिद्वार पुलिस ने 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह भुल्लर के मुताबिक, पिछले साल 11 अक्तूबर की रात दशहरे से पहले हरिद्वार जिला जेल में रामलीला का मंचन हो रहा था। बंदी पंकज वाल्मीकि निवासी ग्राम इस्माइलपुर, थाना लक्सर, हरिद्वार और रामकुमार को वानर सेना का किरदार निभाने का मौका मिला। दोनों ने इसका फायदा उठाकर जेल की दीवार फांदकर फरार हो गए।
बताया, रामलीला मंचन के बाद जब बंदियों और कैदियों की गई, तब जेल प्रशासन को दोनों की फरारी का पता चला। इसके बाद हरिद्वार पुलिस के साथ ही उत्तराखंड एसटीएफ द्वारा भी दोनों की तलाश शुरू की गई। रामकुमार को फरार होने के कुछ दिन पूर्व ही हरियाणा के यमुनानगर से गिरफ्तार कर लिया गया, पर पंकज पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सका था। बताया, पंकज की गिरफ्तारी पर 50 हजार का इनाम रखा गया था। बृहस्पतिवार की रात सूचना मिली कि फरार बंदी पंकज अपने गांव आने वाला है।
इसके बाद उसको पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया, लेकिन ने पंकज ने अपने को घिरता देख फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी फायरिंग में उसके पैर में पुलिस की गोली लगी, जिससे वह घायल हो गया। उसे गिरफ्तार जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। भुल्लर के मुताबिक, अब इस बात की जांच की जाएगी कि फरार बंदी इतने महीनों तक कहां छिपा रहा और किन लोगों ने उसकी मदद की। यह भी पता लगाया जा रहा कि फरारी के पीछे किसी बड़े अपराधी गिरोह का हाथ तो नहीं था। बताया, फरार होने के बाद पंकज मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर रहा था।
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