बेबाक दुनिया डेस्क
नई दिल्ली। आज पूरी दुनिया में उथल-पुथल मची हुई है। चारों तरफ निरंतर संघर्ष और हिंसा का सामना कर रही है। दुनिया में शांति स्थापना के लिए भारतीय संस्कृति को अपनाना ही अंतिम विकल्प है।
यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में संघ के शस्त्र पूजन के बाद दशहरा रैली को संबोधित करते हुए कही। कहा, शांति स्थापित करने के लिए दुनिया में कई प्रयोग हुए, लेकिन सभी प्रयोग असफल साबित हुए। कहा, दुनिया में शांति स्थापना के लिए केवल भारतीय संस्कृति को अपनाने की जरूरत है।
कहा, हमारी संस्कृति अनेकता को कभी समस्या नहीं मानती, बल्कि इसका श्रृंगार करती है और मानती है कि हम सब एक दुनिया से निकले हुए इंसान हैं। कहा, दुनिया में संतुलन को स्थापित करने में भारतीय संस्कृति सर्वोच्च है और संतुलन को वापस ला सकती है।
कहा, समाजवाद और पूंजीवाद से संघर्ष नहीं रुक सकता। रूस और यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए कहा, अब पूरी दुनिया इस्राइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध का भी सामना कर रही है। यह सुख के लिए साधनों को कब्जा करने से पैदा हुई समस्या है। इस समस्या का हल पूंजी और समाजवाद में नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में निहित है।
कहा, मणिपुर में हिंसा हुई नहीं, बल्कि बाहरी ताकतों ने इसको करवाया है यह हिंसा प्रायोजित थी। कहा, मणिपुर एक सीमावर्ती राज्य हैं और इस तरह के आंतरिक संघर्ष से बाहरी ताकतों को ही फायदा मिलता है। कहा, 2024 के लोकसभा चुनाव में देश की एकता, अखंडता, पहचान और विकास को ध्यान में रखकर ही मतदान करें। कहा, कुछ लोग भावनाएं भड़काकर वोट हासिल करने की कोशिश करेंगे। कहा, ऐसी शक्तियों को हर हालत में पहचानना होगा और उनको बेनकाब करना होगा।
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