बेबाक दुनिया ब्यूरो
देहरादून। गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित और भगवान केदारनाथ के क्षेत्रपाल भगवान भकुंट भैरवनाथ के कपाट पूजा-अर्चना और यज्ञ-अनुष्ठान के साथ मंगलवार को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।



वहीं, बाबा केदारनाथ धाम के कपाट तीन नवंबर को भइया दूज के दिन बंद किए जाएंगे। इसी दिन बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली धाम से शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी। चार नवंबर को डोली रामपुर से रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी और पांच नवंबर को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में छह माह की शीतकालीन पूजा के लिए विराजमान हो जाएगी।
मंगलवार को केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग समेत अन्य हक-हकूकधारी पूर्वान्ह साढ़े 11 बजे भगवान भकुंट भैरवनाथ मंदिर पहुंचे। यहां पर मुख्य पुजारी ने आराध्य की विशेष पूजा-अर्चना की। साथ ही सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया। इस मौके पर मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने सभी परंपराओं का निर्वहन करते हुए आराध्य भैरवनाथ का श्रृंगार कर उन्हें भोग लगाया। इस मौके पर भगवान अपने पश्वा पर अवतरित होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया।
दोपहर डेढ़ बजे भगवान भकुंट भैरवनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए गए। इस मौके पर पूरा क्षेत्र आराध्य के जयकारों से गूंज उठा। केदार सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने बताया, भगवान भैरवनाथ के कपाट बंद होने के साथ बाबा केदार के कपाट बंद होने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। बताया, भगवान भैरवनाथ केदारनाथ धाम की रक्षा करते हैं।
ये रहे मौजूद
श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी युद्धवीर पुष्पवाण, केदार सभा के मीडिया प्रभारी पंकज शुक्ला, पूर्व अध्यक्ष विनोद शुक्ला, पंचपंडा समिति अध्यक्ष अमित शुक्ला, धर्माधिकारी अरविंद शुक्ला, कुलदीप धरम्वाण, ललित त्रिवेदी आदि।
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