उपचार के दौरान एम्स में हुई थी मौत, बच्चे के शव को देहरादून के ग्राफिक एरा मेडिकल कालेज को दिया दान
बेबाक दुनिया ब्यूरो
देहरादून। गढ़वाल मंडल के उत्तरकाशी जिले के एक दंपती ने अपने छह दिन के नवजात का देहदान देहरादून के ग्राफिक एरा मेडिकल कालेज को किया। बच्चे की उपचार के दौरान एम्स ऋषिकेश में मौत हो गई थी।

जानकारी के मुताबिक, छह जनवरी को उत्तरकाशी जिले के चिन्यालीसौड़ क्षेत्र के अदनी रौंतल गांव निवासी मनोज लाल की पत्नी विनीता देवी का प्रसव हुआ था।बच्चे को जन्म से ही सांस लेने में दिक्कत थी, जिसे परिजन उपचार के लिए सात जनवरी को एम्स ऋषिकेश लाए। यहां जांच में पता चला कि नवजात की खाने और सांस की नली जुड़ी हुई हैं। डॉक्टरों ने नवजात का ऑपरेशन किया, लेकिन ऑपरेशन के तीन दिन बाद शनिवार को नवजात की मौत हो गई।
अंतिम संस्कार के लिए परिवार ने मुक्तिधाम समिति के सेवादार और नेत्रदान कार्यकर्ता अनिल कक्कड़ से संपर्क किया। कक्कड़ ने बताया, छोटे बच्चों का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता और जमीन में दफनाया या गंगा में प्रवाहित किया जाता है। पर्यावरण प्रेमी मोहन लाल ने गंगा प्रवाह के अलावा अंतिम संस्कार के लिए अन्य विधि पूछी। जिस पर कक्कड़ ने उन्हें देहदान के लिए प्रेरित किया।
दंपती मनोज लाल और विनीता ने देहदान के लिए सहमति दी। गोपाल नारंग ने मोहन फाउंडेशन के उत्तराखंड प्रोजेक्ट लीडर संचित अरोड़ा से संपर्क किया और उनकी मदद से कागजी कार्रवाई पूरी कर राजधानी स्थित ग्राफिक एरा मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ. आरके रोहतगी को बच्चे की देह सौंपी।
इस मौके पर मोहन लाल ने कहा, बच्चे के जन्म को लेकर हर मां-बाप का कोई न कोई सपना होता है। बच्चे को लेकर कई सपने थे, लेकिन हमारे सपने पूरे नहीं हो सके। भगवान ने हमारा बच्चा छीन लिया। सोचा, हमारे सपने तो पूरे नहीं हुए, बच्चे का देहदान करेंगे, जिनसे उन भावी डॉक्टरों के सपने पूरे होंगे, जो पढ़ाई कर रहे हैं।
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