June 23, 2025

BebakDuniya

साथ सच का

177 दंपतियों ने कमलेश्वर महादेव मंदिर में खड़ दीया अनुष्ठान किया

Spread the love

बैकुंठ चतुर्दशी पर गढ़वाल के श्रीनगर के कमलेश्वर महादेव मंदिर में प्रति वर्ष होता है खड़ दीया अनुष्ठान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कमल पुष्प चढ़ाकर की भगवान शिव की पूजा

बेबाक दुनिया ब्यूरो

देहरादून। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर के सिद्धपीठ कमलेश्वर महादेव मंदिर में बृहस्पतिवार को बैकुंठ चतुर्दशी पर्व पर 177 निसंतान दंपतियों ने संतान प्राप्ति की कामना को लेकर खड़ दीया अनुष्ठान किया।

इस साल अनुष्ठान में भाग लेने के लिए 220 दंपतियों ने पंजीकरण कराया था। अबकी पोलैंड के दंपती ने भी अनुष्ठान में भाग लिया। कमलेश्वर महादेव मंदिर में बैकुंठ चतुर्दशी पर्व पर संतान प्राप्ति की कामना के लिए पौराणिक समय से ही निसंतान दंपति खड़ दीया अनुष्ठान की परंपरा निभाते आ रहे हैं। मान्यता है कि इस दिन विधि विधान एवं सच्चे श्रद्धाभाव से खड़ दीया अनुष्ठान करने वाले निसंतान दंपती को संतान प्राप्ति होती है।

एक माह पहले से पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई थी, जिसमें देश के कई राज्यों से सहित विदेशी दंपतियों ने पंजीकरण कराया था। मंदिर के महंत आशुतोष पुरी के मुताबिक, यूपी के कानपुर, चेन्नई, जयपुर, दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, नोएडा समेत उत्तराखंड के कई स्थानों सहित जर्मनी और पोलैंड से इसके लिए पंजीकरण कराया गया था। बताया, इस वर्ष 177 निसंतान दंपतियों ने खड़ दीया अनुष्ठान में भाग लेकर संतान प्राप्ति की कामना की।

सीएम और कैबिनेट मंत्री ने कमल पुष्प चढ़ा की भगवान शिव की पूजा

कमलेश्वर महादेव मंदिर में जगत कल्याण की कामना के लिए सहस्त्र कमल पुष्प चढ़ाए गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने भी भगवान भोलेनाथ को कमल पुष्प चढ़ाए। मुख्यमंत्री ने मंदिर में करीब 20 मिनट तक शिवलिंग की पूजा अर्चना कर जलाभिषेक किया और प्रदेश की सुख समृद्धि की कामना की।

ये है मान्यता

कमलेश्वर महादेव मंदिर में हर साल कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी की रात निसंतान दंपती संतान कामना के लिए पूरी रात दीया हाथ में रखकर खड़े-खड़े पूजा करते हैं, इसलिए इस पूजा को खड़ दीया अनुष्ठान कहा जाता है। मान्यता है कि दानवों पर विजय पाने के लिए भगवान विष्णु ने कमलेश्वर स्थित शिव मंदिर में भगवान शिव से वरदान पाने के लिए तप किया था। विष्णु ने शिव के सहस्त्रनाम के अनुरूप जप करते हुए एक हजार कमल पुष्प चढ़ाने लगे। शिव ने विष्णु की परीक्षा लेने के लिए एक कमल छिपा दिया था। एक पुष्प कम होने से यज्ञ में कोई बाधा न पड़े इसके लिए विष्णु ने अपना एक नेत्र अर्पित करने का संकल्प लिया। इससे प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने विष्णु को अमोघ सुदर्शन चक्र वरदान के रूप में दिया। इस दौरान मंदिर में पूजा करते हुए एक दंपती भगवान की इस लीला को देख रहा था। मां पार्वती के अनुरोध पर शिव ने उस दंपती को संतान प्राप्ति का वरदान दिया। तब से यहां बैकुंठ चतुर्दशी पर निसंतान दंपतियों द्वारा संतान प्राप्ति के लिए खड़ दीया अनुष्ठान की परंपरा है। मान्यता यह भी है कि भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण के वध के बाद ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति के लिए भी यहां शिव की आराधना की थी।

Loading

About The Author


Spread the love